नेशन डायलॉग। दिल्ली की हवा दिल्ली वासियों के लिए एक बार फिर से दमघोंटू बन सकती है। जैसे-जैसे धान की कटाई का समय नजदीक आ रहा है दिल्ली सरकार की परेशानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता को लेकर और ज्यादा बढ़ती जा रही है, क्योंकि किसान धान की पराली को जला देते हैं जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषित होता है और इसका असल दिल्ली पर भी होता है। वहां की हवा जहरीली हो जाती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसको लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता 10 अक्टूबर के आसपास फिर से खराब हो जाएगी और नवंबर के अंत तक इसी तरह बनी रहेगी। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाया जाना इसकी प्रमुख वजह है। पिछले साल दिल्ली सरकार ने एक समाधान निकाला था। पूसा इंस्टीट्यूट ने पराली को नष्ट करने के लिए एक बायो डीकंपोजर बनाया था, जिसके परिणाम काफी उस्ताहजनक रहे थे।
केजरीवाल ने कहा कि हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह राज्यों से किसानों के खेतों में बायो डीकंपोजर का मुफ्त में छिड़काव करने के लिए कहें, यह बहुत ही उचित है। पराली को दोबारा जलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही इस विषय को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलूंगा और उनसे व्यक्तिगत हस्तक्षेप का अनुरोध करूंगा।
बता दें कि किसान जानकारी के अभाव में पराली जला देते हैं, जबकि यदि इसे गड्ढा खोदकर दवा दिया जाए तो यह उच्च क्वालिटी के खाद्द का काम करती है। वहीं, पूसा इंस्टीट्यूट ने पराली को नष्ट करने के लिए जो बायो डीकंपोजर बनाया था वह भी काफी सस्ता है और जल्द ही पूरी पराली को गला देता है, लेकिन इसके बारे में भी किसानों को ज्यादा जानकारी नहीं है, वहीं कई किसानों को यह भी पता नहीं है कि यह बायो डीकंपोजर कहां से प्राप्त किया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल दिल्ली सरकार ने बायो डीकंपोजर मुफ्त में वितरित किया था, जिसका उपयोग किसानों ने 39 गांवों में 1,935 एकड़ भूमि पर पराली को खाद बनाने के लिए किया। केंद्र सरकार की एक एजेंसी डब्ल्यूपीसीओएस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में बायो डीकंपोजर के उपयोग पर बहुत उस्ताहजनक परिणाम सामने आए हैं।