नई दिल्ली। उत्तराखंड में हाइडेल प्रोजेक्ट का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। 5000 से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाली 2013 में की बाढ़ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्टों की स्वीकृति पर निषेध लगा दिया था। अब इसके बावजूद केंद्र सरकार के पर्यावरण, विद्युत और जलशक्ति मंत्रालयों ने मिलकर एक सहमति बना ली है और उत्तराखंड में 7 हाइडेल प्रोजेक्टों के निर्माण को हरी झंडी दे दी है, जो गंगा नदी या उसकी सहायक नदियों पर बनने प्रस्तावित हैं। इन प्रोजेक्टों में से एक वह भी है, जो इस साल फरवरी की बाढ़ के कारण काफी हद तक चौपट हो गया था।
पर्यावरण मंत्रालय ने बीते 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में एक संयुक्त हलफनामा पेश करते हुए कोर्ट को मंत्रालयों की आपसी सहमति के बारे में बताया। ये इसलिए बड़ी खबर है क्योंकि अगर सुप्रीम कोर्ट से इस कदम को मंज़ूरी मिल जाती है, तो उत्तराखंड में अन्य कई हाइडेल प्रोजेक्टों के लिए रास्ता खुल जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय ने इस मामले में जो नई विशेषज्ञ कमेटी बनाई, उसके मुताबिक भी ये 7 प्रोजेक्ट उन 26 प्रोजेक्टों का हिस्सा हैं, जिन्हें कुछ सुधारों व सुझावों के साथ लागू करने की सिफारिशें की जा सकी हैं।
किन प्रोजेक्टों को दी केंद्र ने मंज़ूरी
जिन 7 हाइडेल प्रोजेक्टों को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया, उनमें तपोवन विष्णुगाद में धौली गंगा पर बना एनटीपीसी का वह प्रोजेक्ट शामिल है, जो चमोली ज़िले में फरवरी में आई बाढ़ में बहुत हद तक नष्ट हो गया था। अन्य प्रोजेक्टों में टिहरी स्टेज-II, विष्णुगाद पीपलकोट, सिंगोली भटवारी, फाटा बुयोंग, मडमहेश्वर और कालीगंगा-II के हाइडेल प्रोजेक्ट शामिल हैं।