नेशन डायलॉग। पितरों को याद तर्पण करने को लेकर पितृपक्ष की शुरुआत सोमवार से शुरु हो गई। ऋषिनगरी स्थित गंगा घाटों पर तिलांजलि और पिंडदान के दौरान परिवारजनों की आंखें नम होती दिखी। पिंडदान कर रहे श्रद्धालुओं ने गरीब व ब्राह्मणों को दान पुण्य किया।
सोमवार को ऋषिकेश के विभिन्न घाटों पर भादों मास की पूर्णिमा व श्राद्ध पक्ष की शुरुआत पर श्रद्धालु पहुंचे। गंगा घाटों पर जगह-जगह लोग पिंडदान करते दिखे। श्रद्धालुओं ने सुबह पिंडदान व तिलांजलि के बाद दोपहर में उनकी पसंद का भोजन बनाया। पहले पूर्वजों के नाम से निकाला और फिर कौआ, गाय व अन्य बेजुबानों को खिलाकर उनकी आत्मा को तृप्त करने का विधान किया। त्रिवेणी घाट, नाव घाट, रामानंद घाट, साईं घाट, शत्रुघ्न घाट, दयानंद घाट आदि जगहों पर लोग श्राद्ध करते दिखाई दिए। पंडित रवि शास्त्री ने बताया कि भादों मास की पूर्णिमा तिथि के साथ ही श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो गई है। छह अक्टूबर तक हमारे पितृ धरती पर विराजमान होंगे। मान्यता है कि पूर्वज धरती पर विराजमान होकर सुख, शांति व समृद्धि प्रदान करते हैं। जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो, उन्हें तर्पण अवश्य करना चाहिए। श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं। जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा को हुई है, वे पूर्णिमा को सुबह पिंडदान करके दोपहर में पूर्वजों की पसंद का भोजन खिलाते हैं।